रेशा-रेशा मिल-मिल कर , धागा बनता।
दिल के सात रंगों से रंग , धागा सजता।
कोमल हाथों ने छू कर ,
नर्म बनाया.
नाजुक रिश्तों की गर्मी से ,
गर्म बनाया.
मीठी यादों को ले-ले कर , धागा चलता।
दिल के सात रंगों से रंग , धागा सजता।
पंख नहीं है फिर भी धागा ,
उड़-उड़ आता.
पैर नहीं है फिर भी धागा ,
चल-चल आता.
श्रावण की बदली पे चढ़ , धागा बढ़ता।
दिल के सात रंगों से रंग , धागा सजता।
कुमकुम-अक्षत भरा कलश ,
साथी लाया.
मधुर भाव की मुग्धा मानी ,
सहचरी लाया.
भैया-बहिना अमर रहो जी ,धागा भजता।
दिल के सात रंगों से रंग , धागा सजता।
धागा भारी या हल्का है ,
क्या फर्क पडेगा.
रेशम इस में या चांदी है ,
क्या फर्क पडेगा .
पर सिक्कों के बंटवारे में , धागा मरता।
दिल के सात रंगों से रंग , धागा सजता।
मैं जैसा भी जैसे भी हूँ ,
धन तुम्हारा.
तुम आओ कि मैं उड़ आऊं ,
हंस तुम्हारा.
इस पूनो से नहीं सुबकना , धागा कहता।
दिल के सात रंगों से रंग , धागा सजता।
- त्रिलोकी मोहन पुरोहित , राजसमन्द (राज)
दिल के सात रंगों से रंग , धागा सजता।
कोमल हाथों ने छू कर ,
नर्म बनाया.
नाजुक रिश्तों की गर्मी से ,
गर्म बनाया.
मीठी यादों को ले-ले कर , धागा चलता।
दिल के सात रंगों से रंग , धागा सजता।
पंख नहीं है फिर भी धागा ,
उड़-उड़ आता.
पैर नहीं है फिर भी धागा ,
चल-चल आता.
श्रावण की बदली पे चढ़ , धागा बढ़ता।
दिल के सात रंगों से रंग , धागा सजता।
कुमकुम-अक्षत भरा कलश ,
साथी लाया.
मधुर भाव की मुग्धा मानी ,
सहचरी लाया.
भैया-बहिना अमर रहो जी ,धागा भजता।
दिल के सात रंगों से रंग , धागा सजता।
धागा भारी या हल्का है ,
क्या फर्क पडेगा.
रेशम इस में या चांदी है ,
क्या फर्क पडेगा .
पर सिक्कों के बंटवारे में , धागा मरता।
दिल के सात रंगों से रंग , धागा सजता।
मैं जैसा भी जैसे भी हूँ ,
धन तुम्हारा.
तुम आओ कि मैं उड़ आऊं ,
हंस तुम्हारा.
इस पूनो से नहीं सुबकना , धागा कहता।
दिल के सात रंगों से रंग , धागा सजता।
- त्रिलोकी मोहन पुरोहित , राजसमन्द (राज)